Tips For Vastu Shastra For Fome In Hindi

tips for vastu shastra for home in hindi

वास्तु शास्त्र: घर के लिए शीर्ष 10 टिप्स

Vastu Shastra For Home In Hindi: वास्तु शास्त्र प्राचीन भारतीय वास्तुकला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो सकारात्मक ऊर्जा (प्राण) को आकर्षित करने और नकारात्मक ऊर्जा (वायु) को दूर करने के लिए संरचनाओं के निर्माण और डिजाइन के सिद्धांतों पर केंद्रित है। यह मान्यता है कि सही दिशा, आकार, रंग और सामग्री का उपयोग करके, हम अपने घरों में सद्भाव, समृद्धि, स्वास्थ्य और खुशी को बढ़ावा दे सकते हैं।

Best 10 Tips For Vastu Shastra For Home In Hindi

1. मुख्य द्वार (मुख्य प्रवेश द्वार):

  • मुख्य द्वार घर का मुंह है, जहां से सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है।
  • अनुशंसित दिशाएं: उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व (ईशान कोण)। इन दिशाओं से प्रवेश करने वाली ऊर्जा शुभ मानी जाती है।
  • अनुपयुक्त दिशाएं: दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य कोण)। इस दिशा में द्वार होने से नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश हो सकता है।
  • द्वार का आकार: चौड़ा और ऊंचा द्वार सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को बढ़ावा देता है।
  • द्वार का रंग: पीला, हरा या सुनहरा रंग शुभ माना जाता है।
  • द्वार के सामने: द्वार के सामने कोई भी अवरोध (पेड़, पत्थर, आदि) नहीं होना चाहिए।

2. पूजा स्थान:

  • पूजा स्थान घर का सबसे पवित्र स्थान है।
  • अनुशंसित स्थान: उत्तर-पूर्व कोने (ईशान कोण)। यह दिशा देवताओं से जुड़ी हुई है।
  • दीवारों का रंग: सफेद या हल्का पीला रंग उपयुक्त होता है।
  • पूजा स्थल की सजावट: मूर्तियां, दीपक, फूल आदि से सजाएं।
  • साफ-सफाई: पूजा स्थल को हमेशा साफ-सुथरा रखें।

3. सोने का कमरा:

  • सोने का कमरा शांति और आराम का स्थान होना चाहिए।
  • अनुशंसित दिशाएं: दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य कोण)। इन दिशाओं में सोने से शांतिपूर्ण नींद और आराम मिलता है।
  • सिरहाना: सिरहाना हमेशा दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए।
  • बिस्तर: बिस्तर को दीवार से सटाकर रखें।
  • आइने: सोने के कमरे में आइने का उपयोग करने से बचें।

4. रसोईघर:

  • रसोई घर में खाना पकाने की गतिविधियां होती हैं, इसलिए इसे साफ-सुथरा रखना महत्वपूर्ण है।
  • अनुशंसित स्थान: दक्षिण-पूर्व कोने (अग्नि कोण)। यह दिशा अग्नि तत्व से जुड़ी है।
  • रंग: लाल, नारंगी या पीला रंग उपयुक्त होते हैं।
  • रसोई का मुख: रसोई का मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए।
  • गैस चूल्हा: गैस चूल्हा पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में रखें।

5. बाथरूम:

  • बाथरूम को घर के उत्तर-पश्चिम या पश्चिम दिशा में रखना चाहिए।
  • अनुपयुक्त स्थान: उत्तर-पूर्व, पूर्व या उत्तर दिशा में बाथरूम नहीं बनाना चाहिए।
  • स्वच्छता: बाथरूम को हमेशा साफ और सूखा रखें।

6. सीढ़ियां:

  • सीढ़ियां घर के उत्तर-पश्चिम या पश्चिम दिशा में होनी चाहिए।
  • आकार: सीढ़ियां घुमावदार या सर्पिल नहीं होनी चाहिए। सीधे सीढ़ियां शुभ मानी जाती हैं।

7. पेड़-पौधे:

  • पेड़-पौधे सकारात्मक ऊर्जा लाते हैं और वातावरण को शुद्ध करते हैं।
  • अनुशंसित स्थान: पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में पेड़-पौधे लगाएं।
  • कंटीले पौधे: घर के आसपास कंटीले पौधे नहीं लगाएं।

8. रंग:

  • घर के लिए हल्के रंगों का उपयोग करें। हल्के रंग सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देते हैं और घर को अधिक विशाल बनाते हैं।
  • दीवारों के रंग: सफेद, क्रीम, हल्का पीला, हरा आदि रंग उपयुक्त होते हैं।

9. आइने:

  • आइने का उपयोग करते समय सावधानी बरतें।
  • अनुपयुक्त स्थान: आइने को मुख्य द्वार के सामने या सोने के कमरे में नहीं लगाना चाहिए।
  • स्थान: आइने को दक्षिण या पूर्व दिशा की दीवार पर लगाएं।

10. सफाई:

  • घर को साफ-सुथरा रखना बहुत महत्वपूर्ण है।
  • कबाड़: कबाड़ और गंदगी नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती है।
  • नियमित सफाई: नियमित रूप से घर की सफाई करें।

घर की दिशा के अनुसार वास्तु शास्त्र टिप्स

वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर की दिशाओं का हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। प्रत्येक दिशा का अपना अलग महत्व होता है और उस दिशा में कौन सी चीज रखनी चाहिए, यह भी निर्धारित होता है।

  1. पूर्व दिशा: सूर्योदय की दिशा। सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत। मेन गेट या खिड़की के लिए उत्तम।
  2. पश्चिम दिशा: रसोई या शौचालय के लिए उपयुक्त। दोनों को एक-दूसरे के पास नहीं रखना चाहिए।
  3. उत्तर दिशा: खिड़कियां, दरवाजे, बालकनी और वॉश बेसिन के लिए उत्तम। मेन गेट भी इस दिशा में हो सकता है।
  4. दक्षिण दिशा: खुलापन से बचना चाहिए। भारी सामान रखने के लिए उपयुक्त।
  5. उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण): जल तत्व की दिशा। पूजा स्थल, बोरिंग, स्विमिंग पूल आदि के लिए उपयुक्त।
  6. उत्तर-पश्चिम दिशा (वायव्य कोण): बेडरूम, गैरेज, गौशाला आदि के लिए उपयुक्त।
  7. दक्षिण-पूर्व दिशा (आग्नेय कोण): अग्नि तत्व की दिशा। गैस, बॉयलर, ट्रांसफॉर्मर आदि के लिए उपयुक्त।
  8. दक्षिण-पश्चिम दिशा (नैऋत्य कोण): खुलापन से बचना चाहिए। मुखिया का कमरा या कैश काउंटर आदि के लिए उपयुक्त।
  9. घर का आंगन: घर के आगे या पीछे छोटा सा आंगन होना शुभ माना जाता है। आंगन में तुलसी, अनार, नीम, आंवला आदि के पौधे लगाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

ध्यान दें: वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का निर्माण करते समय इन दिशाओं का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। इससे घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।

नोट: यह एक सामान्य मार्गदर्शिका है। वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों को ठीक से लागू करने के लिए, किसी विशेषज्ञ से परामर्श लेना सबसे अच्छा है।

अस्वीकरण: यह जानकारी केवल सामान्य ज्ञान के लिए है और किसी भी पेशेवर सलाह का विकल्प नहीं है।